कंप्यूटर पर हिंदी में टाइप करने के दौरान अगर आप शब्दों की गलतियों से परेशान हैं, तो आपके लिए यह अच्छी ख़बर हो सकती है।
वर्धा के महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीयहिंदी विश्वविद्यालय ने ‘सक्षम’ सॉफ्टवेयर लॉन्च किया है, जो माइक्रोसॉफ्ट वर्ड के साथ काम करता है और शब्द लिखने में की गई गलतियां पहचानकर उन्हें सुधारता है।
'सक्षम' यूनिकोड आधारित मानक हिंदी के लिए पहला स्पेलिंग चेक सॉफ़्ट्वेयर है, जिसे वर्धा के हिंदी विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफ़ेसर जगदीप सिंह दाँगी ने बनाया है।
हिंदी लिखने के लिए ज्यादातर लोग अंग्रेज़ी की-बोर्ड का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अंग्रेज़ी में ‘त’ और ‘ट’ के लिए अंग्रेज़ी कीबोर्ड के एक ही अक्षर ‘T’ का प्रयोग होता है। ऐसे में वर्तनी की ग़लतियां होना काफ़ी आम बात है। इसी तरह की ग़लतियों को सुधारने के लिए 'सक्षम' को बनाया गया है।”
इससे पहले माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस ने भी अपने सॉफ्टवेयर्स में हिन्दी की स्पेलिंग चेक करने का विकल्प दिया था, लेकिन यूज़र्स को इसके लिए हिंदी का ही माइक्रोसॉफ्ट ऑफ़िस ख़रीदना पड़ता था जो काफ़ी महंगा है।
नया हिंदी स्पेल चेक साधारण माइक्रोसॉफ्ट वर्ड के साथ काम कर सकता है। टेबल में लिखा टेक्स्ट हो, चाहे रोमन हिंदी और देवनागरी मिलाकर लिखी गई हो, 'सक्षम' यूनिकोड हिंदी में लिखे टेक्स्ट को ढूंढकर चेक कर लेता है। सुधार से पहले 'सक्षम' अशुद्ध शब्द के लिए परिवर्तन का सुझाव भी देता है।
'सक्षम' को बनाने में तीन साल का वक्त लगा, जिसे महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति विभूति नारायण राय ने लॉन्च किया।
नया हिंदी स्पेल चेक साधारण माइक्रोसॉफ्ट वर्ड के साथ काम कर सकता है। टेबल में लिखा टेक्स्ट हो, चाहे रोमन हिंदी और देवनागरी मिलाकर लिखी गई हो, 'सक्षम' यूनिकोड हिंदी में लिखे टेक्स्ट को ढूंढकर चेक कर लेता है। सुधार से पहले 'सक्षम' अशुद्ध शब्द के लिए परिवर्तन का सुझाव भी देता है।
'सक्षम' को बनाने में तीन साल का वक्त लगा, जिसे महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति विभूति नारायण राय ने लॉन्च किया।
फ़िलहाल सॉफ्टवेयर का ट्रायल वर्ज़न जारी किया गया है, जिसमें 69,000 हिंदी शब्द चेक करने की क्षमता है।
प्रोफ़ेसर दांगी का कहना है कि साल भर के भीतर शब्दों की संख्या दो लाख़ तक पहुंचा दी जाएगी, जिसके बाद 'सक्षम' का फ़ुल वर्ज़न भी लॉन्च कर दिया जाएगा।
प्रोफ़ेसर दांगी का कहना है कि साल भर के भीतर शब्दों की संख्या दो लाख़ तक पहुंचा दी जाएगी, जिसके बाद 'सक्षम' का फ़ुल वर्ज़न भी लॉन्च कर दिया जाएगा।
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