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स्मार्टफोन, टैबलेट, फैबलेट और लैपटॉप की ABC

सबका मन करता है बेहतर से बेहतर डिवाइस लेने का। लेकिन यह जानना भी जरूरी है कि हर डिवाइस के मायने क्या हैं।
कोई भी डिवाइस लेने से पहले यह जानना जरूरी है कि आपके लिए यह बनी है कि नहीं। आपके लिए यह जानना भी जरूरी है कि किस डिवाइस की सीमा क्या है।



स्मार्टफोन
क्या है: यह वह फोन है, जो सिर्फ बात करने के लिए नहीं बल्कि मिनी कंप्यूटर के तौर पर इस्तेमाल हो जाता है। पांच हजार रुपए से पचास हजार रुपए तक, हर दाम में आपको स्मार्टफोन मिलेंगे, जिनमें आप आसानी से ईमेल भेज सकते हैं, ऑफिस फाइल्स बना या काम कर सकते हैं, लाइव विडियो देख सकते हैं, ई-बुक पढ़ सकते हैं। यानी सब कुछ अपनी जेब में रखकर चलने की आजादी के साथ। कुछ सालों में ही स्मार्टफोन ने मोबाइल बाजार की तस्वीर बदली है, वरना फीचर फोन से ही बाजार भरे पड़े थे, फीचर फोन यानी जो कैमरा, रेडियो, हार्डवेयर के बाकी फीचरों से लैस होकर आता है। लेकिन स्मार्टफोन आपको ऐप्स, ऑनलाइन कनेक्टिविटी की ताकत देते हैं।

खेल ऑपरेटिंग सिस्टम का: स्मार्टफोन के बाजार में सबसे बड़ा फैक्टर ऑपरेटिंग सिस्टम है। ऐपल के आईओएस, ऐंड्रॉयड, ब्लैकबेरी और विंडोज़ फोन के बीच बाजार बंटा हुआ है। आईफोन दुनिया भर में सबसे पॉप्युलर भले ही हो लेकिन भारत जैसे उभरते बाजार में हर प्राइस पॉइंट पर मिलने वाले ऐंड्रॉयड का बाजार सबसे बड़ा है। ब्लैकबेरी अपनी जगह बनाए रखने की कोशिश में है, जबकि विंडोज़ फोन 8 के साथ नोकिया बाजार में वापसी करने में जुटी है। ऐंड्रॉयड फोन में ऐंड्रॉयड जेली बीन 4.3 सबसे लेटेस्ट है। आमतौर पर आपको ऐंड्रॉयड 3.0 से ऊपर के हैंडसेट ही बाजार में मिलेंगे। ऐंड्रॉयड फोन ले रहे हैं तो कम से कम ऐंड्रॉयड 4.0 यानी आइसक्रीम सैंडविच तो होना ही चाहिए। ऐपल के सभी आईफोन अलग-अलग दाम के बावजूद आईओएस 7 से लैस होकर ही आ रहे हैं। विंडोज़ फोन में नोकिया ने पहले विंडोज़ 7 के हैंडसेट निकाले थे, लेकिन अब विंडोज़ 8 से लैस फोन बाजार में आ रहे हैं।



जैसा दाम वैसा काम: कीमत के लिहाज से ऐंड्रॉयड फोन आपको कई तरह के ब्रैंड में मिलेंगे। ऐंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम है और यह कंपनियों को अपने हिसाब से हैंडसेट बनाने की आजादी देता है, इसलिए आपको हर दाम में हर कंपनी के फोन मिलेंगे, जिनमें अंतर फोन की बॉडी, स्क्रीन की क्वॉलिटी, साइज, प्रोसेसर, कैमरे, बैटरी आदि में देखने को मिलता है। साथ ही कुछ कंपनियां ऐंड्रॉयड के इंटरफेस को ही इस्तेमाल करती हैं, जबकि सैमसंग और एचटीसी जैसी कंपनियां अपना खुद का इंटरफेस ऐंड्रॉयड पर लाती हैं। सबसे सस्ते ऐंड्रॉयड फोन आपको पांच हजार रुपए से भी कम में मिल जाएंगे।

स्क्रीन: आमतौर पर स्मार्टफोन का स्क्रीन साइज 3.5 इंच रहा है, लेकिन अब कम से कम चार इंच स्क्रीन के फोन ज्यादा पॉप्युलर हैं और यह 4 से लेकर 6 इंच तक जा रहा है। स्क्रीन में रेजिस्टिव और कैपेसिटिव का फर्क यहां भी है।

क्यों लें: यह सवाल अब बेमानी सा होता जा रहा है, क्योंकि इन्होंने फोन के इस्तेमाल की बेसिक जरूरत की परिभाषा ही बदल दी है। अगर आपके लिए ज्यादा जरूरी है हर वक्त ईमेल पर मौजूद रहना, अगर आप हर वक्त सोशल नेटवर्क के जरिए दुनिया से जुड़े रहना चाहते हैं, अगर बस या मेट्रो के लंबे सफर के दौरान आप ईबुक पढ़ते हुए या गेम खेलते हुए वक्त काटना चाहते हैं, आप अगर अपने फोन पर ऐप्लिकेशन का जादू महसूस करना चाहते हैं तो आप फीचर फोन के साथ रह ही नहीं सकते हैं।

क्या हैं लिमिटेशन: स्मार्टफोन इतने सारे फीचर के साथ आते हैं कि कई बार लोगों को पता ही नहीं होता कि वे इससे क्या कुछ कर सकते हैं। लेकिन जब आप इन फीचर्स का इस्तेमाल करते हैं तो उसका असर फोन की बैटरी लाइफ पर भी पड़ता है। जब फोन पर हर वक्त ईमेल और इंटरनेट जारी रहते हैं, जब आप लगातार सोशल नेटवर्किंग करते हैं, गेम खेलते हैं, तो बड़ी और चमकदार स्क्रीन पर बैटरी भी खर्च होती है। हालांकि मोबाइल कंपनियां काफी तगड़ी बैटरी ला रही हैं लेकिन दिन भर में बैटरी खत्म हो ही जाती है। ऐसे में अक्सर लोग शाम होते-होते चार्जर लेकर भागते नजर आते हैं। देखा गया है कि कई लोग स्मार्टफोन के साथ एक साधारण फीचर फोन भी इमर्जेंसी बैकअप के लिए रखते हैं। स्मार्टफोन लेते समय यह न सोचें कि आप अब कंप्यूटिंग का पूरा काम ही इससे चला लेंगे, कम दाम के फोन तो टैबलट को टक्कर भी नहीं दे सकते।

किन बातों का रखें ख्याल 
फोन लेते समय कीमत के हिसाब से इन चीजों पर समझौता न करें -

प्रोसेसर: यह कम से कम एक गीगाहर्त्ज तो होना ही चाहिए। सिंगल-कोर भी चलेगा। ड्यूल-कोर, क्वॉड-कोर और ऑक्टा-कोर के ऑप्शन भी आ रहे हैं। इनका फायदा तब खासकर है, जब आप ज्यादा मल्टिमीडिया रिच एक्स्पीरियंस चाहते हैं, मसलन विडियो प्लेयर, गेमिंग या मल्टिटास्किंग। ज्यादा कोर वाले प्रोसेसर आपकी बैटरी बचाने में भी मदद करते हैं।

स्क्रीन: साढ़े तीन इंच स्क्रीन स्टैंडर्ड मानी जाती है, लेकिन अब 4 इंच से 5 इंच का साइज कॉमन हो रहा है। बड़ी स्क्रीन साइज का फायदा यह है कि आपको ज्यादा बेहतर व्यू मिलता है और टाइप करने में आसानी होगी। साइड इफेक्ट यह हैं कि बड़े फोन को जेब में लेकर चलना कई बार असहज होता है। स्क्रीन साइज के अलावा रेजॉलूशन भी मायने रखता है।

बैटरी, कैमरा और बॉडी: फोन अगर 10-15 हजार रुपए की रेंज में है, तो कम से कम 2000mAh की बैटरी तो होनी ही चाहिए। स्मार्टफोन जितना बेहतर होता जाएगा, बैटरी की जरूरत भी उतनी बढ़ती जाएगी। अच्छे फोन में आमतौर पर 3000mAh या ज्यादा की बैटरी तो होनी चाहिए।

कैमरा: इसी तरह कैमरा भी फोन का जरूरी पार्ट है। एंट्री लेवल के स्मार्टफोन कम से कम 3 मेगापिक्सल का कैमरा देते हैं। मिड रेंज में आपको 5 से 8 मेगापिक्सल का कैमरा तो मिलेगा ही। टॉप रेंज के फोन अब 13 मेगापिक्सल कैमरे के साथ आ रहे हैं। स्मार्टफोन में प्लास्टिक बॉडी काफी कॉमन है, सैमसंग जैसे ब्रैंड के महंगे फोन भी प्लास्टिक बॉडी के साथ आते हैं, वहीं ऐपल अब तक आईफोन के लिए स्टील बॉडी ही पसंद करती रही है। हालांकि नया ऐपल 5सी भी प्लास्टिक बॉडी के साथ आ रहा है। इसमें आप अपनी पसंद के हिसाब से चलें तो बेहतर।

कुछ स्मार्टफोन्स

10 हजार से नीचे
लूमिया 620: इस प्राइस पर विंडोज़ 8 फोन में लूमिया 620 काफी अच्छा फोन है, जो आपको बेहतरीन हार्डवेयर देता है। विंडोज़ 8 में ऐप्स ऐंड्रॉयड जितने नहीं हैं, लेकिन इनमें इजाफा तेजी से हो रहा है।
माइक्रोमैक्स कैनवस 2 और जोलो क्यू 800: ऐंड्रॉयड हैंडसेट में माइक्रोमैक्स कैनवस 2 और जोलो क्यू 800 बेहतरीन फोन हैं। जोलो क्यू 800 आपको 8 मेगापिक्सल कैमरा, 4.5 इंच स्क्रीन, क्वॉड-कोर प्रोसेसर, ऐंड्रॉयड जेली बीन जैसे फीचर देता है। अगर आप फिजिकल की-बोर्ड वाला फोन चाहते हैं तो ब्लैकबेरी 8200 हैंडसेट देख सकते हैं, फास्ट ईमेल में इसका मुकाबला नहीं।

10-20 हजार रुपए
लूमिया 720: इस रेंज में करीब साढ़े 17 हजार में लूमिया 720 काफी अच्छा विंडोज़ फोन है। फोन की बॉडी और स्क्रीन बेहद खूबसूरत हैं।
कैनवस 4: ऐंड्रॉयड फोन की रेंज में कैनवस 4 नया और बेहतरीन फोन है, जो आपको 20 हजार रुपए से ऊपर की रेंज वाले गैलक्सी फोन के फीचर कम दाम में देता है।
सैमसंग गैलक्सी ग्रैंड क्वात्त्रो: यह काफी पॉप्युलर फोन है। सोनी में 12-13 हजार के आस-पास में एक्स्पीरिया यू और ऊपर एक्स्पीरिया एल हमें पसंद आए हैं।

20 हजार से ऊपर
आईफोन 5एस और 5सी: इस प्राइस में हम बेहतरीन फोन देखेंगे। आईफोन 5एस और 5सी आने वाले हैं, हो सकता है साल के अंत तक भारत में आएं। ऐपल के दीवानों को उनका इंतजार करना ही चाहिए, दाम का अभी खुलासा नहीं हैं, 5एस के लिए पचास हजार की रेंज तो तय मानिए।
एचटीसी वन: ऐंड्रॉयड में एचटीसी वन सबसे बेहतरीन फोन है, करीब 47,499 रुपए दाम के साथ। इसके बाद थोड़ा कम दाम में आप ऐंड्रॉयड सैमसंग गैलक्सी एस 4 या फिर विंडोज़ 8 फोन में नोकिया लूमिया 925 जरूर देखिए। हाल ही में एलजी जी2 लॉन्च हुआ है, जो करीब 44 हजार रुपए में 21 मेगापिक्सल कैमरे और 5.2 इंच स्क्रीन से लैस है।

टैबलट
क्या है:
 इसे आप आसान भाषा में ऐसी स्लेट कह सकते हैं, जो आपकी उंगली के इशारे पर चलती है। टचस्क्रीन वाली यह स्लेट मिनी कंप्यूटर की तरह है और इसे टैबलट पीसी भी कहा जाता है। 3 अप्रैल 2010 को आईफोन बनाने वाली कंपनी ऐपल ने अपना पहला टैबलट पीसी आईपैड लॉन्च किया था, उसके बाद से हर कंपनी इस कैटिगरी में आ रही है और लोग भी इन्हें हाथों-हाथ ले रहे हैं। आईपैड सबसे ज्यादा बिकने वाली टैबलट डिवाइस है।

कैसे करें सिलेक्शन: टैबलट का बाजार दो तरह से देखा जा सकता है, ऑपरेटिंग सिस्टम और स्क्रीन साइज।

ऑपरेटिंग सिस्टम: यह किसी भी कंप्यूटिंग डिवाइस की आत्मा की तरह होता है, यही तय करता है कि डिवाइस कैसे काम करेगी। आईपैड ऐपल के आईओएस पर चलता है और इस ऑपरेटिंग सिस्टम पर और कोई टैबलट नहीं चलती है। काफी स्मूद होने, डाउनलोड करने के लिए ढेरों ऐप्लिकेशन की सहूलियत की वजह से इसने आईपैड को सबसे कामयाब बनाया है। लेकिन अधिकतर कंपनियों के टैबलट ऐंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम करते हैं।

स्क्रीन साइज: दो सबसे पॉप्युलर कैटिगरी हैं 7 इंच की स्क्रीन और 10 इंच की स्क्रीन। आईपैड के शुरुआती मॉडल 10 इंच स्क्रीन में ही आए। बाद में ऐंड्रॉयड पर 7 इंच के टैबलट आने लगे, तो पिछले साल ही ऐपल ने आईपैड मिनी के नाम से 8 इंच का टैबलट निकाला। दोनों स्क्रीन साइज के अपने-अपने फायदे हैं। जो लोग 10 इंच का साइज पसंद करते हैं, उनका कहना है कि आप टैबलट को मिनी कंप्यूटर की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं, तो स्क्रीन तो इतनी बड़ी होनी चाहिए कि आपको कंप्यूटर की स्क्रीन का सुख मिल सके, पूरी वेबसाइट दिखे, विडियो साफ-साफ दिखे। लेकिन अब सात या आठ इंच का स्क्रीन साइज ज्यादा तेजी से पॉप्युलर हो रहा है।

क्यों चाहिए: लैपटॉप है तो काम की चीज लेकिन उसका भारी वजन, बैटरी की कम लाइफ, ऐसी दिक्कतें हैं कि आप उसे हर वक्त नहीं ढोना चाहते। टैबलट बेहद हल्का और आसान विकल्प है। आप जरूरी सर्फिंग, ईमेल आदि के अलावा इस पर ऑफिस सॉफ्टवेयर डाउनलोड करके पावरपॉइंट, एक्सेल आदि पर भी काम कर सकते हैं। इसके अलावा मोबाइल फोन की तरह टैबलट्स पर ऐप्लिकेशन डाउनलोड करने की सुविधा है, जो आपको डबल अडवांटेज देते हैं।

सीमाएं: टैबलट की अपनी सीमाएं हैं, इसी वजह से ये न तो मोबाइल फोन के मार्केट पर नेगेटिव असर डाल रहे हैं और न ही लैपटॉप के। सबसे पहली बात तो यह कि टैबलट डेटा कन्ज्यूम करने की डिवाइस है, यानी आप इस पर डेटा इस्तेमाल करते हैं, मसलन वेबसाइट देखना, गेम खेलना, ईमेल करना, ई-बुक पढ़ना, ऐप्लिकेशन का इस्तेमाल करना, लेकिन आप इस पर डेटा क्रिएट काफी कम करते हैं। उसके लिए आपको लैपटॉप जैसी पावरफुल डिवाइस चाहिए। हालांकि आप ब्लूटूथ से की-पैड अटैच कर सकते हैं, लेकिन कई काम ऐसे हैं जो आप टैबलट पर करने के बजाय डेस्कटॉप या लैपटॉप पर ही करना पसंद करेंगे।

टैबलट नहीं है फोन: यह आपके फोन का विकल्प कतई नहीं है, हालांकि सैमसंग समेत कई कंपनियों ने 7 या 10 इंच में ऐसे टैबलट दिए हैं, जिनमें कॉलिंग फीचर है लेकिन अधिकतर लोग इतनी बड़ी डिवाइस को कान पर लगाकर फोन की तरह इस्तेमाल करना पसंद नहीं करते। टैबलट के स्वरूप पर यह कतई फिट भी नहीं बैठता। ऐसे में टैबलट की अपनी सीमाएं हैं और इसने इसी के अंदर ग्राहकों की एक नई कैटिगरी तैयार की है।

किन बातों का रखें ख्याल 
- टचस्क्रीन दो तरह के होते हैं रेजिस्टिव और कैपेसिटिव। यहां इतना ही समझना काफी है कि रेजिस्टिव टच वाली डिवाइसेज़ सस्ती होती हैं लेकिन इसमें टच की क्वॉलिटी अच्छी नहीं होती है, आपको स्क्रीन जोर से दबाना होता है, जबकि कैपेसिटिव में उंगली से छूते ही वह कमांड ले लेती है।
- अगर टैबलेट में सिर्फ इनबिल्ट मेमरी है तो 32 जीबी से कम पर तो मत जाइए क्योंकि अब हम जितना डिजिटल डेटा इस्तेमाल करते हैं, उसमें 16 जीबी तो जल्द ही खत्म हो जाता है। फिर इस मेमरी का काफी हिस्सा आपके ऑपरेटिंग सिस्टम और इनबिल्ट ऐप्लिकेशन के हिस्से में भी चला जाता है।
- बैटरी लाइफ भी जरूर चेक करें। 7-10 घंटे की बैटरी लाइफ नहीं मिल रही है तो टैबलट के इस्तेमाल का पूरा कॉन्सेप्ट ही बेकार हो जाता है। विडियो चैट के लिए सभी लोग फ्रंट कैमरा देते हैं, लेकिन वीजीए कैमरे से क्वॉलिटी नहीं आ पाती। स्क्रीन का रेजॉलूशन चमकदार होना चाहिए, एचडी डिस्प्ले हो तो बहुत बढ़िया, क्योंकि घर से बाहर सूरज की रोशनी में अगर आप इसे ढंग से देख नहीं पाए तो क्या फायदा।

बेस्ट 3 टैबलेट
आईपैड मिनी: 7.9 इंच स्क्रीन वाली यह टैबलट वाई-फाई के साथ 3जी और सिर्फ वाई-फाई वर्जन में आती है। इसके 16 जीबी वाई-फाई वर्जन का दाम करीब 22 हजार रुपए है, जबकि 3जी सिम के साथ यह करीब 30 हजार रुपए की रेंज में है। 3जी सिम सिर्फ इंटरनेट डेटा के लिए है, कॉलिंग का फीचर नहीं है। 32 जीबी में सिर्फ वाई-फाई मॉडल करीब 28 हजार से थोड़ा कम का है, जबकि 3जी के साथ 35-36 हजार रुपए की रेंज में आता है। 10 इंच के आईपैड रेटिना डिस्प्ले का 16 जीबी वाई-फाई वर्जन करीब 32 हजार का और 3जी वर्जन करीब 40 हजार का आता है। कम दाम में आप आईपैड 2 के मॉडल चेक कर सकते हैं।

गैलक्सी टैब: सैमसंग ने गैलक्सी टैब और गैलक्सी नोट नाम से दो रेंज निकाली है। पहले गैलक्सी टैब 2 और अब गैलक्सी टैब 3 काफी पॉप्युलर है। 7 इंच स्क्रीन साइज में कॉलिंग का भी फीचर कई लोगों को पसंद आया है और टैबलट मोबाइल फोन के तौर पर भी इस्तेमाल हो रहा है। टैब 3 के 7 इंच मॉडल का दाम भी 16,500 रुपए से कम है। पिछले दिनों इसका 8 इंच मॉडल भी आया, जो करीब 22 हजार रुपए का है। गैलक्सी नोट वैसे तो फैबलेट है, लेकिन सैमसंग ने उसका 10 इंच स्क्रीन में टैबलट वर्जन लॉन्च किया, जो स्टाइलस के साथ आता है, यह काफी हिट नहीं हुआ। नोट 800 का दाम 35,490 रुपए के आस-पास है।

माइक्रोमैक्स कैनवस टैब: अभी तक माइक्रोमैक्स 4000 रुपए से लेकर 7500 रुपए तक की रेंज में फनबुक नाम से अपने सस्ते टैबलेट्स ला रही थी, जो एक प्राइस रेंज में काफी पॉप्युलर भी थे, लेकिन अब उसने एक ठीक टैबलट निकाला है जो उसके मोबाइल फोन ब्रैंड कैनवस के नाम से आ रहा है। 8 इंच स्क्रीन साइज, आईपीएस डिस्प्ले, 3जी कॉलिंग का फीचर, क्वॉड-कोर प्रोसेसर, 5 और 2 मेगापिक्सल्स के कैमरे, इन सब फीचर्स के साथ वह गैलक्सी टैब को सीधे चुनौती देने जा रही है। वैल्यू फॉर मनी चाहने वालों के लिए यह अच्छा ऑप्शन है।

फैबलेट
क्या है: बस इतना समझिए कि फोन से ज्यादा, टैबलट से कम का सेग्मेंट है। मोबाइल हैंडसेट की यह कैटिगरी तेजी से पॉप्युलर हो रही है। हम इसे कुछ ऐसे समझते हैं कि जो 5 इंच स्क्रीन से ज्यादा और 7 इंच स्क्रीन से कम हो, यानी छोटे टैबलट के साइज से कम। बैटरी, कैमरे, प्रोसेसर आदि स्मार्टफोन और फैबलेट दोनों के लिए समान तौर पर लागू होते हैं, इसलिए हम यहां खासकर फैबलेट के फीचर्स के लिहाज से बात करेंगे।

क्यों लें और क्या है लिमिटेशन: फैबलेट को लेने की बड़ी वजह है कि यह आपको टैबलेट भी साथ रखने के झंझट से मुक्ति दिला सकती है। स्क्रीन का साइज बड़ा होता है, प्रोसेसिंग पावर और बैटरी भी मजबूत होती है, मल्टिटास्किंग के फीचर भी आपको अच्छे फैबलेट में मिलते हैं। ऐसे में कॉलिंग के फीचर के साथ आप इसमें कंप्यूटिंग का काम भी काफी हद तक कर सकते हैं। वैसे कुछ कंपनियां टैबलट में भी कॉलिंग ला रही हैं लेकिन सात इंच का साइज फोन के तौर पर इस्तेमाल करना अधिकतर लोगों को अच्छा नहीं लगता। जबकि साढ़े पांच और छह इंच स्क्रीन साइज में इसे असहज मानने वालों की तादाद थोड़ा कम है।

जो इसकी खासियत है वही इसकी सीमा भी है, आप अगर पब्लिक ट्रांसपोर्ट, बाइक या स्कूटर ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो इसे जेब में रखकर चलना मुसीबत हो सकता है। हर वक्त इसे कमीज की ऊपर की जेब में रखना भी अजीब है। ब्लूटूथ लगाकर बात तो की जा सकती है, लेकिन आप हर वक्त ऐसा नहीं कर सकते हैं। लेकिन आपके लिए यह अगर कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, तो फैबलेट वैल्यू फॉर मनी भी साबित हो सकता है। अपने हिसाब से फैसला आपको करना है।

बेस्ट 3 फैबलेट
22 से 25 हजार रुपए के बीच
इसमें हमें दो तगड़े दावेदार मिले हैं। सैमसंग गैलक्सी मेगा और वावे एसेंड मेट।

सैमसंग गैलक्सी मेगा: गैलक्सी मेगा के दो वर्जन आए हैं, 5.8 और 6.3, ये इनकी स्क्रीन के साइज भी हैं।
वावे एसेंड मेट: वावे एसेंड मेट को क्रिटिक्स ने काफी पसंद किया है, इसका दाम 25 हजार रुपए के करीब है।

25 हजार रुपए से ऊपर
गैलक्सी नोट: यह फैबलेट कैटिगरी का बादशाह रहा है। गैलक्सी नोट 3 हाल ही में लॉन्च हुआ है, यह प्रीमियम प्रॉडक्ट है और इसका दाम करीब-करीब 50 हजार रुपए है। स्क्रीन साइज 5.7 इंच है, लेटेस्ट ऐंड्रॉयड ओएस है। आप कम प्राइस रेंज में जाना चाहते हैं, तो गैलक्सी नोट 2 अब काफी कम दाम में यानी करीब 31 हजार रुपए के आस-पास मिल रहा है।

लैपटॉप, अल्ट्राबुक और हाइब्रिड डिवाइस
क्या हैं
लैपटॉप: मोबाइल कंप्यूटिंग में सबसे बेहतरीन डिवाइस लैपटॉप ही मानी जाती है, जो एक डेस्कटॉप कंप्यूटर के सबसे करीब है। एक अच्छा लैपटॉप खरीदना लोगों के लिए एक अच्छे मोबाइल फोन खरीदने से ज्यादा मुश्किल है। दरअसल हमें लैपटॉप लेने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, कुछ ऐसे फीचर होते हैं जो इनके दाम को ज्यादा या कम करने में अहम रोल रखते हैं, हमें अपनी जरूरत और बजट के हिसाब से ही इन्हें चुनना चाहिए।

देखें दाम का दम: लैपटॉप के दाम में प्रोसेसर, मेमरी, रैम, बैटरी, स्क्रीन साइज, ऑपरेटिंग सिस्टम का अहम रोल होता है। इसके अलावा आप उसमें सॉफ्टवेयर जो डलवा रहे हैं, उसका भी प्राइस फैक्टर पर असर पड़ता है। आमतौर पर जब हम 20-30 हजार रुपए की रेंज के लैपटॉप देखते हैं, तो उनमें अक्सर विंडोज़ के इनबिल्ट ऑपरेटिंग सिस्टम के बजाय डॉस या प्रोसेसर में अंतर से प्राइस तय होता है।

ऐसे समझें: आज बाजार में करीब 30 हजार रुपए के दाम पर बिक रहे तीन मॉडल लेते हैं, डेल वोस्त्रो 2420, एचपी 450, तोशिबा सैटलाइट C 850 - X 0011, ये सभी एक प्राइस पॉइंट पर हैं लेकिन कॉन्फिगरेशन में अंतर साफ देख सकते हैं। यानी आपको जहां ऑरिजिनल ऑपरेटिंग सिस्टम मिला, वहां प्रोसेसर पर और रैम में थोड़ा समझौता है, जहां प्रोसेसर ज्यादा अडवांस है वहां या तो रैम कम है या ऑपरेटिंग सिस्टम डॉस है या है ही नहीं। आपको कंप्यूटर पर जनरल काम करना है तो विंडोज़ तो चाहिए ही। कुछ लोग सोचते हैं कि ओएस या ऑफिस सॉफ्टवेयर बाजार से फर्जी डलवा लेंगे, लेकिन यह बेहद रिस्की है। लैपटॉप में आपके काम का बेहद जरूरी डेटा होता है, फर्जी सॉफ्टवेयर की कोई गारंटी नहीं होती, ऐसे में रिस्क लेना ठीक नहीं है। जितना जरूरी हार्डवेयर है, उतना ही जरूरी ऑरिजिनल सॉफ्टवेयर भी।

इस्तेमाल के हिसाब से चुनें
कुछ फंडे हैं जो आपकी मदद करते हैं
- आप अगर होम यूजर हैं, तो कोर 3 प्रोसेसर आपके लिए काफी है, लेकिन आप अगर ऑफिस यूज या गेमिंग के लिए देख रहे हैं तो कोर 5 प्रोसेसर आपको जरूरी स्पीड देगा।
- मल्टिमीडिया इस्तेमाल के लिए कोर 5 या कोर 7 प्रोसेसर देखें।
- रैम कम से कम 4 जीबी होनी चाहिए, वरना बाद में आप स्पीड और हैंग होने जैसी शिकायतों में फंस सकते हैं।
- कई 2 जीबी रैम वाले लैपटॉप हैं, जिनमें बाद में इसे एक्सपेंड करने का ऑप्शन भी मिलेगा। हार्ड डिस्क कम से कम 500 जीबी होनी चाहिए।
- गेमिंग के ऑप्शन से देख रहे हैं, तो ग्राफिक कार्ड जरूर हो।
- अगर आपका इस्तेमाल भाग-दौड़ वाला है तो वजन पर जरूर नजर डालें, यह पौने दो किलो या दो किलो से ज्यादा होगा तो आपके ही कंधे बोझ से झुकेंगे।

अल्ट्राबुक: लैपटॉप के अडवांस्ड वर्जन के तौर पर अब अल्ट्राबुक है, जिसे साइज में स्लिम रखने और स्पीड में फास्ट बनाने के लिए कुछ स्टैंडर्ड तय किए गए हैं।

किसे कहेंगे अल्ट्राबुक: 5-8 घंटे की बैटरी लाइफ होनी चाहिए, इनकी मोटाई 0.83 इंच से ज्यादा नहीं होनी चाहिए, इन्हें बंद करने के बाद दोबारा ऑन करें तो फिर से शुरू होने में 7 सेकंड से ज्यादा वक्त नहीं लगना चाहिए और सेकंड और थर्ड जेनरेशन से कम प्रोसेसर न हों। इन शर्तों को अल्ट्राबुक की नई जेनरेशन के साथ और बेहतर किया जा रहा है। यही वजह है कि बाजार में ज्यादा स्लीक दिखने वाली अल्ट्राबुक आ रही हैं, जिनकी परफॉर्मेंस भी बढ़िया है।

किसके लिए है बेस्ट: ये उन लोगों के लिए बेहतरीन है, जो ऑफिस यूज करते हैं या जिन्हें लैपटॉप लेकर बाहर निकलना पड़ता है। अल्ट्राबुक खरीदते समय भी आपको अपने इस्तेमाल के तरीके को तय करना होगा क्योंकि इसी के हिसाब से आप प्रोसेसर, रैम और बैटरी लाइफ देखेंगे। डिजाइन फैक्टर भी इनमें अहम है, हालांकि इसके साथ दाम भी ऊपर या नीचे जाते हैं।

ऐसे समझें: अगर हम लेनोवो आइडियापैड की 310 और 410 सीरीज के तीन अल्ट्राबुक मॉडल्स को लें, तो इनमें एक 40 हजार, दूसरा 48 हजार और तीसरा 54 हजार रुपए की रेंज में है। बाकी कंपनियों या लेनोवो के और मॉडल भी आप देखेंगे तो प्रोसेसर, स्क्रीन, ग्राफिक कार्ड, वजन, इनबिल्ट मेमरी, एसएसडी के साइज और स्टाइल के साथ दाम बदलते हैं। टचस्क्रीन के साथ भी अल्ट्राबुक आ रहे हैं, जिनमें असुस विवोबुक 58 हजार के प्राइस टैग के हिसाब से खास है। 40 हजार से 90 हजार रुपए या इससे भी ऊपर आपको डेल, असुस, ऐसर, एचपी, तोशिबा और सोनी वायो के तमाम ऑप्शन मिलेंगे। मॉडल कौन सा लेना है, फैसला आपको अपनी जरूरत और बजट के हिसाब से ही करना होगा।

हाइब्रिड डिवाइस: यह लैपटॉप में टच और टैबलट का अवतार ला रही हैं। माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज़ 8 को टच के हिसाब से भी तैयार किया है, इसी का फायदा उठाकर कंपनियों ने ऐसे हाइब्रिड कंप्यूटर तैयार किए हैं, जिन्हें आप की-बोर्ड से अलग कर दें तो स्क्रीन एक टैबलट का रूप ले लेती है, वरना आप इसे लैपटॉप की तरह इस्तेमाल करते रहे। माउस से कमांड देने के अलावा आप स्क्रीन को छू कर भी कमांड दे सकते हैं।

सोच समझ कर लें फैसला: अब हम अंदाजा लगाते हैं कि हाइब्रिड में किस कदर वरायटी आ रही है। एस्पायर आर 7 को ही लीजिए। टचस्क्रीन वाली इस डिवाइस को आप चाहें तो लैपटॉप की तरह, चाहें तो फोल्ड करके टैबलट की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं, यही नहीं आप इसे इस कदर घुमा सकते हैं कि यह एक डिस्प्ले डिवाइस भी बन जाए। किसी भी कंपनी ने एक डिवाइस को की-बोर्ड के साथ ही इतने सारे रूप में बदलने का ऑप्शन नहीं दिया है। करीब 75 हजार रुपए की आर 7 बिजनस यूज के लिए अच्छी है। इसी तरह एसर की पी3 अल्ट्राबुक को भी फोल्ड करके आप टैबलेट की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। 1.3 किलो वजन, 0.77 इंच की मोटाई, 5 सेकंड से कम के रिस्टार्ट टाइम के सथ यह आम यूजर के लिए टारगेट डिवाइस है, इसका दाम करीब 55 हजार रुपए है। इसके अलावा लेनोवो आइडिया पैड लिंक्स के 3011 अलग हो जाने वाले की-बोर्ड के साथ आता है। इस विंडोज़ 8 डिवाइस को टैबलेट में बदलने के लिए आपको की-बोर्ड अलग करना होता है। यह करीब 52 हजार रुपए की डिवाइस है।

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