बात चाहे दोस्तों के साथ धूम मचाने की हो या गम भूलाने की, म्यूजिक हमेशा ही साथ देता है।
नग्मे हों, गजलें या हिप-हॉप, म्यूजिक की अपनी जुबान है और यह जुबान संगीत के चाहने वालों के सिर चढ़ कर बोलती है। संगीत का यह नशा हमारे कानों के रास्ते रगों तक पहुंचाने का काम करते हैं स्पीकर्स। स्पीकर्स के बारे में जरूरी जानकारी
करें स्पीकर से जान पहचान वह जमाना और था जब डिवाइस खामोशी से घर का हिस्सा हुआ करते थे और स्विच ऑन करने पर ही आप तक अपनी सेवाएं पहुंचाते थे। अब सब बदल चुका है, हर डिवाइस की अपनी आवाज है। ऐसे में स्पीकरों की दुनिया अब केवल म्यूजिक सिस्टमों तक ही सीमित नहीं रह गई है। बात कंप्यूटर की हो, टीवी की या फिर टैब और मोबाइल की, हर डिवाइस अपने आप में एक म्यूजिक सिस्टम है और स्पीकर के सहारे यह आपकी दुनिया को आवाजों से सराबोर कर सकता है। अगर इस्तेमाल के हिसाब से देखें तो स्पीकर्स को दो कैटिगरी में बांटा जा सकता है। एक वे जो म्यूजिक सिस्टम या टीवी आदि के साथ के साथ अटैच करके स्थायी तरीके से रखे जा सकते हैं और दूसरे वे जो मूवमेंट वाली डिवाइसों (टैब और मोबाइल आदि) के साथ आराम से इधर-उधर किए जा सकते हैं।
इनको भी जानें स्पीकर खरीदने का ख्याल आते ही PMPO और RMS जैसे कुछ खास शब्द आपके दिमाग में कुलबुलाने लगते होंगे। इनके बारे में जानना भी बहुत जरूरी है।
PMPO (Peak Music Power Output) यह शब्द आपको लगभग हर म्यूजिक सिस्टम के प्रचार में सुनाई और दिखाई पड़ता होगा। आपको शायद यह जान कर हैरानी होगी कि तकनीक के मामले में इसकी कोई अहमियत नहीं है और न ही यह किसी स्पीकर की ताकत नापने का कोई स्टैंडर्ड पैमाना है। यह प्रचार की दुनिया में गढ़ा गया एक शब्द है, जो स्पीकर से आने वाली सबसे ऊंची आवाज को आइडियल कंडिशन में नाप कर बनाया गया है। PMPO का नंबर ज्यादा होना स्पीकर के अच्छे होने की गारंटी नहीं देता।
RMS (Root Mean Square) कई स्पीकर इसको स्पीकर की क्षमता को नापने की बेहतर यूनिट मानते हैं। आरएमएस के जरिए हम यह पता लगा सकते हैं कि लगातार बजाने पर कोई स्पीकर कितनी तेज और साफ आवाज में बज सकता है। सरल भाषा में समझें तो आरएमएस के पैमाने पर कस कर स्पीकर खरीदने में ही समझदारी है। जितना अधिक आरएमएस होगा, उतनी ही बेहतर आपको आवाज मिलेगी। आमतौर पर इसे वॉट में नापा जाता है। हालांकि इसे भी कई जानकार स्पीकर का सटीक पैमाना नहीं मानते।
Hz (हर्ट्ज) हमारे कानों तक कोई आवाज कंपन के कारण ही पहुंचती है और कंपनों को नापने के पैमाने को हर्ट्ज कहा जाता है। इस लिए स्पीकर की संवेदशीलता (फ्रीक्वेंसी) को भी हर्ट्ज से ही नापा जाता है। स्पीकर की फ्रीक्वेंसी रेंज जितनी ज्यादा होगी उतनी ही अलग-अलग आवाजें हम सुन सकेंगे। इंसानी कान 20hz-20,000hz तक की आवाज को आसानी से सुन सकते हैं।
Surround sound (सराउंड साउंड) यह आवाज को एक खास तरह से रिकॉर्ड करने की एक तकनीक है, जो सुनने वाले को केवल सामने से नहीं अपने चारों तरफ से आवाज के आने का आभास देती है। जब कई तरह की खूबियों वाले स्पीकरों को खास सेटअप में रखा जाता है और सुनने वाले को भी इस तरह से बिठाया जाता है कि वह हर तरह की आवाज को अपने चारों ओर महसूस कर सके, तब सराउंड साउंड का असली प्रभाव सुनाई पड़ता है।
Woofer- Subwoofer (वूफर और सबवूफर) वूफर स्पीकर का वह हिस्सा होता है, जो कम फ्रीक्वेंसी (4hz-1000hz तक) की आवाजों को पैदा करता है। जब कई तरह की छोटी फ्रीक्वेंसी की आवाजों को बेहतर तरीके से सुनने के लिए छोटे वूफर का इस्तेमाल किया जाता है तो वह सबवूफर कहलाता है।
Tweeter (ट्विटर) ऊंची फ्रीक्वेंसी (2000 hz-20,000hz) की आवाजों को सुनने के लिए ट्विटर का इस्तेमाल किया जाता है। स्पीकर से सुनाई पड़ने वाली महीन आवाजों को सुनने में इसका बड़ा योगदान रहता है।
आवाज की दुनिया के सितारे
दुनियाभर में कई नामी स्पीकर कंपनियां जरूरत के हिसाब से अलग-अलग तरह के बेहतरीन स्पीकर बनाती हैं।
टीवी और म्यूजिक सिस्टम के स्पीकर इस कैटिगरी में मल्टि स्पीकर सेटअप आते हैं। टीवी में जिस तेजी से तकनीकी सुधार आते जा रहे हैं, साउंड के मामले में भी इनकी डिमांड बढ़ती जा रही है। एलसीडी और एलईडी के स्पीकर कम ही लोगों की आवाज की खुराक पूरी कर पा रहे हैं इसलिए शौकीन अलग से सेटअप लगाना पसंद करते हैं। यह सेटअप 2.1, 3.1, 5.1 और 7.1 होते हैं। नंबरों को देख कर घबराएं नहीं, दशमलव के बाद का नंबर वूफर की संख्या बताता है और बाकी अलग तरह के स्पीकर होते हैं। वैसे तो सोनी से लेकर सैमसंग और एलजी जैसी टीवी बनाने वाली कंपनियां होम थियेटर सेटअप खुद भी देती हैं। फिर भी इस सेग्मेंट में देशी और विदेशी दोनों तरह की कंपनियां सक्रिय हैं। अगर सस्ते ऑप्शन की तलाश कर रहे हैं तो लॉजिटेक, क्रिएटिव, इंटेक्स और आई बॉल जैसी कंपनियां 500 रुपए से शुरू होकर 5000 रुपए में बेहतरीन स्पीकर सेटअप मुहैया करा रही हैं। अगर आपको प्रीमियर सेग्मेंट में जाना है तो बोस, जेबीएल और सिन्हाइजर जैसी कंपनियों के सेटअप 10,000 रुपए से शुरू होकर 2 लाख से ऊपर तक जाते हैं।
मोबाइल स्पीकर यह वह सेग्मेंट है, जो तेजी से बढ़ रहा है। जितनी अलग-अलग तरह की कम्यूनिकेशन डिवाइस बाजार में आ रही हैं उनकी जरूरत के हिसाब से पोर्टेबल स्पीकरों का बाजार भी गर्म हो रहा है। इस तरह के सेग्मेंट में दो तरह के स्पीकर आते हैं, कुछ तो रिचार्ज हो सकने वाली बैटरी पर चलते हैं और कुछ डिवाइस बाहर से पावर सप्लाई लेते हैं। इस सेग्मेंट में भी आम और प्रीमियम दोनों ही सेग्मेंट सक्रिय हैं। सस्ते ऑप्शन 200 रुपए से शुरू होकर 7000 रुपए के आसपास जाते हैं। इस तरह के डिवाइस में प्रीमियम सेग्मेंट में बेहतरीन ऑप्शन मौजूद हैं। बोस का पोर्टेबल साउंड डॉक कमाल का सिस्टम है। इसकी कीमत 23,513 रुपए से शुरू होकर 48,263 रुपए तक जाती है। जेबीएल के माइक्रोलाइट और सीरीज के पोर्टेबल स्पीकर तो 2000 से 5000 रुपए के भीतर ही मिल सकते हैं। सोनी और फिलिप्स भी 5000 रुपए की रेंज में अच्छे स्पीकर दे रही है।
नोट: इन कंपनियों के अलावा और भी अच्छे ब्रैंड मार्केट में मौजूद हैं।
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