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काम करे तो क़ाज़ी, ना करे तो पाजी

एक गाँव में एक क़ाज़ी था | वह अपने न्याय के लिए बहुत प्रसिद्ध था |
उसकी ईमानदारी देखते हुए गाँव वाले ही नहीं बल्कि आस पास गाँव के लोग भी उसका सम्मान करते थे | गाँव के पांच और ज़मींदार भी उसके आदर में कमी नहीं रखते थे | यानी के अमीर और गरीब सब उससे खुश रहते थे |

एक बार एक गाँव में एक ज़मींदार और किसानों में झगड़ा हो गया | गलती ज़मींदार की थी, और नुक्सान किसान का हुआ था | हालाँकि झगड़े के दौरान कई लोगों ने उस किसान का साथ दिया था | इस झगडे को लेकर गाँव में पंचायत भी बैठायी गयी उसमे ज़मींदार की ज्यादती बताई गयी | लेकिन ज़मींदार ने पंचायत का फैसला नहीं मन | अंत में यह मामला कचहरी तक जा पहुंचा | कचहरी में फैसला सुनाने वाले अधिकारी गाँव के ही क़ाज़ी थे |

क़ाज़ी ने दोनों तरफ के लोगों की बातें सुनी | बाद में गाँव वालों की भी बातें सुनी | सुनकर और गवाहों की बातों पर विचार करके निर्णय किसान के पछ में दिया |

ज़मींदार ने निर्णय के पहले क़ाज़ी के पास सिफारिश करवाई थी | कुछ धन का लालच भी दिया था | लेकिन उस क़ाज़ी ने किसी की बात नहीं मानी थी और ना धन ही लिया था |

अब वह ज़मींदार उस क़ाज़ी की बुराई करता-फिरता | कभी कभी उसे गाली भी दे देता | क़ाज़ी को पाजी कहकर लोगो में बुराई करता | गाँव वाले जानते थे की ज़मींदार सब झूठ बोल रहा है | यह भी जानते थे की क़ाज़ी जी ने जो फैसला सुनाया है, बिलकुल ठीक है | गाँव के लोग ज़मींदार से डरते थे, इसलिए उसकी बातें सुनकर चुप रहते |

उसी गाँव में एक बुजुर्ग था | निर्भीक और निडर | वह ना किसी की बुराई करता और ना किसी की झूठी बुराई सुनाता था | सत्य बात कहने में उसे डर नहीं लगता था |

एक दिन ज़मींदार लोगों से क़ाज़ी की बुराई कर रहा था और गाली दे रहा था | वह बुजुर्ग कहीं से आ रहा था | वह bhi खड़ा होकर ज़मींदार की बातें सुनता रहा | जैसे ही ज़मींदार अपनी बात कहकर चुप हुआ, वह बुजुर्ग बोला, “ठीक कहते हो ज़मींदार जी | ‘काम करे तो क़ाज़ी, ना करे तो पाजी ’|”

इतना कहकर बुजुर्ग अपना चलता बना | ज़मींदार मुंह खोले उसे जाते देखता

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