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सोना सुनार का, गहना संसार का

एक दिन रामफल सुनार की दुकान पर गया | उसके नाती का विवाह था |
वह अपने साथ एक हँसुली ले गया | इस एक हँसुली से वह अपने तीन बेटों और एक नाती का विवाह कर चूका था | इस बीच वह तीन बार हँसुली को बदलवा चूका था | हर बार सुनार हँसुली के सोने के भार में से ताम्बे के टाँके का वजन काटकर तौल बताता रहा था | और जब वह नई हँसुली बनाकर देता था, तो उसमे लगे ताम्बे के टांको को सोने के भाव देता था |

इस बार रामफल ने कहा की इसको चमकाकर काम नहीं चलेगा, तो सुनार ने कहा की आप कहो तो इसको चमका दूँ लेकिन पता चल जायेगा की यह पुरानी हँसुली है | कहीं कहीं से सोने का पर्त उखड़ता सा दिखाई दे रहा था | सुनार ने साफ़ साफ़ बता दिया था की यह हँसुली पुरानी ही लगेगी |

अब उसका विवाह का पूरा हिसाब बढ़ता नज़र आ रहा था | इसलिए उसने सुनार से नई हँसुली बनाने के लिए कह दिया | जब वह नई हँसुली लेने आया, तो उसे बहुत रूपये देने पड़े | वजन हँसुली का उतना हे था फिर भी कुछ सोना ताम्बे के बदले लगाना पड़ा था | बनवाई और हँसुली में लगे ताम्बे के भी पैसे सोने के भाव् में ही लगा लिए गए थे |

रामफल पैसे तो पुरे देकर हँसुली ले आया, लेकिन हिसाब उसकी समझ में नहीं आया | वह गाँव आकर सबसे पहले साहूकार के पास गया | साहूकार से उसकी अच्छी जान पहचान थी | उसने साहूकार को पर्ची दिखाकर हिसाब पूछा | साहूकार ने ब्योरेवार रामफल को समझाया | और कहा की दो तीन बार हँसुली ठीक कराने में तो हँसुली का पूरा सोना सुनार का हो जाता है | वैसे तो सोना सुनार का ही होता है | वह समय समय पर थोड़ा थोड़ा करके सोना लेता रहता है और जो तुम पैसा देते हो, उसका नया सोना लगता रहता है | यह मानकर चलिए की कहने को हँसुली तुम्हारी है लेकिन इसका पूरा सोना सुनार का है जो समय समय पर ताम्बे के रूप में काटता रहता है |

साहूकार की बात सुनकर रामफल दंग रह गया | साहूकार के चाचा वहीँ बैठे थे | उन्होंने कहा, "रामफल भाई, 'सोना सुनार का, गहना संसार का ' होता है |"

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