दुनिया के महानतम गणितज्ञ और खगोलविद “आर्यभट्ट” का जन्म पाटलिपुत्र में हुआ जो आज पटना के नाम से जाना जाता है|
बहुत से मतों के अनुसार उनका जन्म दक्षिण भारत(केरल) में माना जाता है| आर्यभट्ट ने “आर्यभट्ट सिद्धांत”और “आर्यभट्टिया” नामक ग्रंथों का स्रजन किया|उन्होने अपने ग्रन्थ आर्यभट्टिया में गणित और खगोलविद का संग्रह किया है| इसमें उन्होनें अंकगणित, बीजगणित, सरल त्रिकोणमिति और गोलीय त्रिकोणमिति का उल्लेख किया है| इसमें उन्होनें वर्गमूल, घनमूल, सामानान्तर श्रेणी तथा विभिन्न प्रकार के समीकरणों का वर्णन भी किया है |
उन्होनें ही पहली बार by= ax+ c aur by= ax-c समीकरण सिद्धांतों को समझाया, जहाँ a,b और c चर राशियाँ हैं| बीजगणित में सबसे महत्वपूर्ण pi()= 3.1416 की व्याख्या का श्रेया भी आर्यभट्ट को ही जाता है |
लेकिन ज़ीरो(0) की महान खोज ने इनका नाम इतिहास में अमर कर दिया| जिसके बिना गणित की कल्पना करना भी मुश्किल है| आरभट्ट ने ही सबसे पहले स्थानीय मान पद्धति की व्याख्या की |
लेकिन ज़ीरो(0) की महान खोज ने इनका नाम इतिहास में अमर कर दिया| जिसके बिना गणित की कल्पना करना भी मुश्किल है| आरभट्ट ने ही सबसे पहले स्थानीय मान पद्धति की व्याख्या की |
उन्होनें ही सबसे पहले उदाहरण के साथ बताया की हमारी प्रथ्वी अपनी धुरी पर घूमते हुए सूरज की परिक्रमा करती है और चंद्रमा प्रथ्वी का उपग्रह है जो प्रथ्वी की परिक्रमा करता है| उनका मानना था की सभी ग्रहों की कक्षा दीर्घ व्रत्ताकार है| उन्होने बताया कि चंद्रमा का प्रकाश सूरज का ही परावर्तन है|
आर्यभट ने बताया कि “नाव में बैठाहुआ व्यक्ति जब जलप्रवाह के साथआगे बढ़ता है, तब वह समझताहै कि वृक्ष, पाषाण, पर्वतआदि पदार्थ उल्टीगति से जारहे हैं। उसीप्रकार गतिमान पृथ्वी परसे स्थिर नक्षत्रभी उलटी गतिसे जाते हुएदिखाई देते हैं।” इस प्रकार आर्यभटने सर्वप्रथम यहसिद्ध किया किपृथ्वी अपने अक्षपर घूमती है।
आयभट्ट एक महान इंसान थे, जिन्होंने गणित में समुंदर जैसी गहराई जितने अध्धयन और विश्लेषन के बाद नयी दुनियाँ को जन्म दिया |
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