महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कमतर समझा जाता है और जब बात किसी नई खोज की हो, दिमाग में सिर्फ पुरुषों का ही ख्याल आता है। थॉमस अल्वा एडिसन, ऐलेक्जेंडर ग्राहम बेल और राइट ब्रदर्स जैसे नामों के रूप में ऐसा माना जाता है दुनिया को सारी नई चीजें पुरुषों की ही देन है।
आएये चलते है 10 ऐसी बेहतरीन खोज के विषय में जो इस विश्व को महिलाओं की देन हैं।
1. डिशवॉशर ( Dishwasher ) : जोसेफीन कोकरेन ( Josephine Cochrane ) ने 1886 सबसे पहला मशीन के उपयोग से डिशवाशर बनाया था। जोसेफीन एक अमीर महिला थीं जिन्हें अक्सर डिनर पार्टियां देनी होती थीं। वह कभी खुद बरतन साफ नहीं करती थी क्योंकि बहुत से नौकर उनके लिए यह काम करते थे। परंतु वह चाहती थीं कोई ऐसी मशीन हो जिससे बरतन साफ करने का काम जल्दी से किया जा सके। उनके समय तक अन्य किसी ने ऐसी मशीन नहीं बनाई थी इस कारण जोसेफीन ने स्वयं ही ऐसी मशीन बनाने का फैसला किया।
आएये चलते है 10 ऐसी बेहतरीन खोज के विषय में जो इस विश्व को महिलाओं की देन हैं।
1. डिशवॉशर ( Dishwasher ) : जोसेफीन कोकरेन ( Josephine Cochrane ) ने 1886 सबसे पहला मशीन के उपयोग से डिशवाशर बनाया था। जोसेफीन एक अमीर महिला थीं जिन्हें अक्सर डिनर पार्टियां देनी होती थीं। वह कभी खुद बरतन साफ नहीं करती थी क्योंकि बहुत से नौकर उनके लिए यह काम करते थे। परंतु वह चाहती थीं कोई ऐसी मशीन हो जिससे बरतन साफ करने का काम जल्दी से किया जा सके। उनके समय तक अन्य किसी ने ऐसी मशीन नहीं बनाई थी इस कारण जोसेफीन ने स्वयं ही ऐसी मशीन बनाने का फैसला किया।
सबसे पहले उन्होंने प्लेट का नाप लिया। इसके बाद उन्होंने वायर कंपार्टमेंट (तार के खाने) बनाए, हर खाने में प्लेट, कप और छोटे प्लेट रखने के लिए पर्याप्त जगह थी। इस तार के बने सांचे को तांबे के बॉयलर, जिसमें पानी गर्म होकर घुमता है, के अंदर रखा साथ ही एक पंखा भी लगाया गया। एक मोटर से पंखा घुमता था जब गर्म साबुन का पानी पूरी सांचे में प्लेट और अन्य बर्तनों पर तेजी से फिकता था।
जोसेफीन की दोस्त इस मशीन से बेहद प्रभावित हुईं। उन्हें ऐसी ही मशीन बनाने के ऑर्डर मिलने लगे। उनकी इस खोज को 'कोकरेन डिशवाशर' कहा जाने लगा। कुछ ही समय बाद उन्हें बड़े होटल और रेस्टोरेंट से ऑर्डर मिलने लगे। उन्होनें अपनी डिजाइन को पेटेंट करवा लिया और ज्यादा संख्या में डिशवाशर बनाने लगीं। उन्होंने अपने डिशवाशर का प्रदर्शन 1893 में वर्ल्ड कोलंबियन एक्सपोजिशन में किया जहां उन्हें पुरस्कार भी दिया गया।
2. अदृश्य कांच ( Invisible glass) : साल 1935 में कैथरीन ब्लोगेट (Katherine Blodgett) ने ऐसा तरीका विकसित किया जिससे मोनोमोलेकुलर ( monomolecular ) यानी बहुत बारीक परत कांच या धातु पर एक बार में फैलाई जा सके। उन्होंने बैरियम स्टेरेट (barium stearate) एक किस्म का तत्व, की 44 परतें कांच पर चढ़ाई जिससे कांच 99 प्रतिशत (संचार) ट्रांसमिसिव हो गया।
उनके इस प्रयोग से अदृश्य कांच इजाद हुआ। कैथरीन ब्लोगेट ऐसी पहली महिला थी जिन्हें 1926 में भौतिकी में पीएचडी की उपाधी कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी द्वारा प्रदान की गई। उन्हें जनरल मोटर्स द्वारा हायर कर लिया गया था।
उनके इस प्रयोग से अदृश्य कांच इजाद हुआ। कैथरीन ब्लोगेट ऐसी पहली महिला थी जिन्हें 1926 में भौतिकी में पीएचडी की उपाधी कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी द्वारा प्रदान की गई। उन्हें जनरल मोटर्स द्वारा हायर कर लिया गया था।
3. विंडशील्ड वाइपर ( Windshield Wipers ) : गाडियों का सामने वाला कांच साफ करने में इस्तेमाल किए जाने वाले विंडशील्ड वाइपर की खोज का श्रेय मैरी एंडरसन ( Mary Anderson ) को जाता है। साल 1903 में उपयोग में लाए गए सबसे पहले विंडशील्ड वाइपर का इस्तेमाल हाथ से किया जाता था जिसमें चलती हुई कार के अंदर एक लेवर (छड़ी जैसे) को कांच पर घुमाया जाता था। साल 105 में मैरी ने अपनी इस खोज के अधिकार को एक कैनेडियन फर्म को बेचने की कोशिश की। परंतु उन्होंने मैरी को यह कहते हुए इंकार कर दिया "हमारे हिसाब से इसकी कोई व्यवसायिक उपयोगिता नहीं है जो किसी भी प्रोडक्ट के राइट को हमारी कंपनी द्वारा खरीदे जाने में जरूरी होते हैं।"
साल 1920 के खत्म होते ऑटोमोबाइल व्यवसाय में जबरदस्त उछाल आया जिनमें मैरी के द्वारा डिजाइन किए गए विंडशील्ड वाइपर की काफी मांग थी। साल 1922 में कैडिलैक ( Cadillac ) पहली ऐसी कार बनाने वाली कंपनी थी जिसने ( विंडशील्ड वाइपर ) को स्टेंडर्ड इक्वीपमेंट के तौर पर अपना लिया था।
साल 1920 के खत्म होते ऑटोमोबाइल व्यवसाय में जबरदस्त उछाल आया जिनमें मैरी के द्वारा डिजाइन किए गए विंडशील्ड वाइपर की काफी मांग थी। साल 1922 में कैडिलैक ( Cadillac ) पहली ऐसी कार बनाने वाली कंपनी थी जिसने ( विंडशील्ड वाइपर ) को स्टेंडर्ड इक्वीपमेंट के तौर पर अपना लिया था।
4. सफेद संशोधक/ वाइट करेक्शन फ्लुइड ( White correction fluid ) : टेक्सास के एक बैंक और ट्रस्ट में सेक्रेटरी के तौर पर काम करने वाली बेट्टे नेस्मिथ ग्राहम (Bette Nesmith Graham ) ने महसूस किया पूराने इलेक्ट्रिक टाइपराटर से होने वाली गलतियों को मिटाना मुश्किल था। एक दिन उन्होंने एक आर्टिस्ट (कलाकार) पर ध्यान दिया जो गलतियों को मिटाता नहीं था बल्कि हमेशा उन पर पैंट कर देता था। उसे देखकर ग्राहम ने फैसला किया वह गलतियों को मिटाने के बदले उन्हें पैंट कर देंगी। वह टेंपरा वाटर-बेस्ड पैंट को एक बोतल में भरकर अपने ऑफिस ले गईं।
ग्राहम ने पांच साल तक सफेद रंग से करेक्शन किए। इस दौरान अपने बेटे की कैमिस्ट्री टीचर की मदद से इस कलर को और बेहतर बना लिया। उनके कुछ बॉस ने उन्हें ऐसा करने से मना किया परंतु उनके साथी अक्सर उनसे यह कलर मांगते थे। बाद में 1956 में उन्होंने टाइपराइटर की गलतियों को छुपाने के लिए इस्तेमाल होने वाले रंग को 'मिस्टेक आउट' के नाम से बेचना शुरू कर दिया। जिसका नाम बदलकर 'लिक्विड पेपर' कर दिया गया जब उन्होंने अपनी स्वयं की कंपनी खोली। साल 1979 में उन्होंने लिक्विड पेपर को जिलेट कॉर्पोरेशन को 47.5 मिलियन डॉलर में बेच दिया। इस समय उनकी कंपनी में 200 कर्मचारी काम कर रहे थे जिसमें 25 मिलियन लिक्विड पेपर की बोतल बनतीं थीं।
ग्राहम ने पांच साल तक सफेद रंग से करेक्शन किए। इस दौरान अपने बेटे की कैमिस्ट्री टीचर की मदद से इस कलर को और बेहतर बना लिया। उनके कुछ बॉस ने उन्हें ऐसा करने से मना किया परंतु उनके साथी अक्सर उनसे यह कलर मांगते थे। बाद में 1956 में उन्होंने टाइपराइटर की गलतियों को छुपाने के लिए इस्तेमाल होने वाले रंग को 'मिस्टेक आउट' के नाम से बेचना शुरू कर दिया। जिसका नाम बदलकर 'लिक्विड पेपर' कर दिया गया जब उन्होंने अपनी स्वयं की कंपनी खोली। साल 1979 में उन्होंने लिक्विड पेपर को जिलेट कॉर्पोरेशन को 47.5 मिलियन डॉलर में बेच दिया। इस समय उनकी कंपनी में 200 कर्मचारी काम कर रहे थे जिसमें 25 मिलियन लिक्विड पेपर की बोतल बनतीं थीं।
5. फायर एस्केप ( Fire escape ) : फायर एस्केप के तौर पर पहला रजिस्ट्रेशन एना कोनेली ( Anna Connelly ) ने साल 1887 में करवाया था। एना कोनेली को फायर एस्केप की खोज करने के तौर पर जाना जाता है परंतु शायद उनके पैंटेट में केवल बाहर बनी हुई स्टील (लोहे) की सीढ़ीयां शामिल थीं जिन्हें फायर एस्केप के नाम से जाना गया।
6.सरक्यूलर सॉ ब्लेड ( Circular Saw ) : टैबिथा बैबिट अमेरिका में टूल बनाने का काम करती थीं। पहला घुमने वाला ब्लेड जिसे 1813 में मीलों में इस्तेमाल किया गया बनाने का श्रेय इन्हें जाता है। ऐसा माना जाता है बैबिट ने ब्लेड में टीथ बनाने का तरीका खोजा साथ ही घुमने वाले ब्लेड में और सुधार किए। बैबिट पुरूषों को लंबे सॉ के साथ काम करते देखती थीं। उन्होंने ध्यान दिया इसमें आधी मेहनत बर्बाद हो जाती है। उनके द्वारा बनाया गया पहला सरक्यूलर सॉ अलबेनी (न्यूयॉर्क) में रखा गया है।
7. चॉकलेट चिप कुकीज ( Chocolate chip cookies ) : चॉकलेट चिप कुकीज की खोज अचानक से हो गई थी। रूथ ग्रेव्स वेकफिल्ड 1930 में चॉकलेट कुकीज बना रहीं थीं। उन्होंने देखा उनके पास हमेशा इस्तेमाल होने वाली बेकर चॉकलेट खत्म हो गई है। उन्होंने नेस्ले की सेमी स्वीट (कम मीठी) चॉकलेट को तुकड़ों में कुकीज बनाने के लिए उपयोग किया। उन्हें लगा था ये पिघलकर मक्खन के साथ मिक्स हो जाएंगी। ऐसा नहीं हुआ और चॉकलेट चिप कुकीज की खोज हो गई। वेकफिल्ड ने यह रेसीपी नेस्ले को बेच दी जिसके बदले में उन्हें चॉकलेट चिप्स हमेशा के लिए दी जाने लगी।
8. मोनोपोली (Monopoly) : एलीजाबेथ जे मैगी फिलिप्स ने एक ऐसा गेम बनाया जिसके उपयोग से वह हेनरी जॉर्ज की सिंगल टैक्स थेयोरी समझा सकें। उनका गेम जिसे लैडंलोर्ड का गेम नाम दिया गया था साल 1906 में सामने आया। उनके इस गेम पर आधारित बहुत सारे बोर्ड गेम्स बाद में खोजे गए जिनमें किसी भी लैंड का खरीदना, बिकना और उसका विकास प्रमुख था।
9. कोबोल कम्प्यूटर लैंग्वेज ( COBOL Computer language ) : जब कम्यूटर के क्षेत्र में हासिल की जा चुकीं उपल्ब्धियों की बात होती है तो हम चार्ल्स बैबेज, एलन ट्यूरिंग और बिल गेट्स जैसे नामों के बारे में सोचते हैं। परंतु एडमिरल ग्रेस मुर्रे हॉपर को उनके कंप्यूटर इंडस्ट्री में दिए गए विशेष योगदान का श्रेय दिया जाना चाहिए।
एडमिरल ग्रेस हॉपर ने सेना 1943 में ज्वॉइन की थी। यहां उन्हें हॉर्वड में स्टेशंड किया गया। वह यहां आईबीएम के हार्वड मार्क आई कम्प्यूटर पर काम करती थीं। यह पहला युनाइटेड स्टेट्स का पहला लार्ज-स्केल कम्प्यूटर था।
10. कलर्ड फ्लैयर्स ( Coloured flares ) : अपने दिवंगत पति के पेपर देखते समय, मार्था जेन कोस्टन, को ऐसे नोट्स मिले जिनमें नेवी यार्ड पर रात में सिग्नल दिए जाने के विषय में लिखा गया था। उनके पति के अधूरे नोट्स में कुछ सुधार की ज़रूरत थी। जिससे इसे सिग्नल देने के लिए इस्तेमाल किया जा सके। करीब दस साल तक मार्था ने अपने पति के लिखे नोट्स के आधार पर सिग्नल सिस्टम खोज निकालने का प्रयास किया।
5 अप्रैल 1859 को, उन्हें युनाइटेड स्टेट्स में पायरोटेक्निक नाइट सिग्नल और कोड के लिए एक पैटेंट नंबर दिया गया। विभिन्न रंगों के कॉम्बिनेशन के इस्तेमाल से, एक जहाज से दूसरे जहाजों को और किनारे पर सिग्नल भेजा जाना संभव हुआ।
5 अप्रैल 1859 को, उन्हें युनाइटेड स्टेट्स में पायरोटेक्निक नाइट सिग्नल और कोड के लिए एक पैटेंट नंबर दिया गया। विभिन्न रंगों के कॉम्बिनेशन के इस्तेमाल से, एक जहाज से दूसरे जहाजों को और किनारे पर सिग्नल भेजा जाना संभव हुआ।
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